जब से मोदी सरकार ने इस साल जनवरी में 8वें वेतन आयोग के गठन की घोषणा की है, तब से इसके आसपास खासा चर्चा है — खासकर फिटमेंट फैक्टर को लेकर, जो एक ऐसा नंबर होता है जिससे नई बेसिक सैलरी की कैलकुलेशन की जाती है।
इस बात को लेकर लगातार चर्चा चल रही है कि फिटमेंट फैक्टर क्या होगा, और इसी बीच 1.2 करोड़ से ज़्यादा केंद्र सरकार के कर्मचारी और पेंशनर्स बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं कि उनकी सैलरी और पेंशन में आखिरकार कितना इज़ाफा होगा।
अभी क्या हो रहा है?
सूत्रों के अनुसार, सरकार बहुत जल्द 8वें वेतन आयोग के लिए टर्म्स ऑफ़ रेफरेंस (ToR) जारी कर सकती है। एक बार यह तय हो गया, तो आयोग के चेयरमैन और अन्य प्रमुख सदस्यों की नियुक्ति की जाएगी।
पिछले महीने सरकार ने दो आधिकारिक सर्कुलर जारी किए है, जिनमें बताया गया कि 8वें वेतन आयोग के लिए 40 पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। वित्त मंत्रालय के अनुसार, इन पदों में अन्य विभागों से प्रतिनियुक्ति पर आए अधिकारियों के द्वारा ज़्यादातर भरे जाएंगे।
फिटमेंट फैक्टर – क्या मांग हो रही है?
कई कर्मचारी संगठनों की मांग है कि फिटमेंट फैक्टर को बढ़ाया जाए। कुछ यूनियनों ने 2.86 का फिटमेंट फैक्टर सुझाया है, जिससे सैलरी और पेंशन दोनों में अच्छा-खासा इज़ाफा हो सकता है।
हालांकि, सरकार को इतने बड़े इज़ाफे पर राज़ी कर पाना आसान नहीं लगता है। पूर्व वित्त सचिव सुभाष गर्ग ने हाल ही में कहा कि इतना बड़ा बढ़ोतरी (2.86) संभव नहीं दिखती है।
अधिकांश विशेषज्ञों का मानना है कि 1.92 का फिटमेंट फैक्टर ज़्यादा व्यावहारिक होगा, जो कि वर्तमान 7वें वेतन आयोग की जगह ले सकता है।
इन संख्याओं का मतलब क्या हो सकता है?
चाहे 2.86 हो या 1.92, फिटमेंट फैक्टर को बेसिक पे पर ही लागू किया जाएगा। उदाहरण के तौर पर, अगर फिटमेंट फैक्टर 1.92 तय होता है, तो न्यूनतम बेसिक सैलरी बढ़कर ₹34,560 हो सकती है। ये आंकड़े कागज़ पर देखने में भले ही अच्छे लगें, लेकिन इसमें असल में कितना “अतिरिक्त पैसा” होगा?
विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
विशेषज्ञों का कहना है कि फिटमेंट फैक्टर का एक बड़ा हिस्सा महंगाई के अनुसार समायोजन (Inflation Adjustment) होता है। जो बचता है, वही असली बढ़ोतरी होती है। इसलिए, 2.86 जैसा कोई बड़ा फैक्टर देखने में जितना शानदार लगता है, असल में फायदा उतना नहीं होता।
6वें के मुकाबले 7वां वेतन आयोग
6वें वेतन आयोग (2006) में फिटमेंट फैक्टर था 1.86, और वास्तविक वेतन वृद्धि लगभग। .54% थी। 7वें वेतन आयोग (2016) में फैक्टर 2.57 था, लेकिन सैलरी में असली इज़ाफा सिर्फ 14.2% का रहा था। क्योंकि 7वें वेतन आयोग का ज़्यादातर फिटमेंट फैक्टर महंगाई भत्ते (DA) के समायोजन में चला गया, न कि असली सैलरी बढ़ाने में।
आंकड़ों की ज़ुबानी
7वें वेतन आयोग के समय सैलरी की गणना कुछ इस तरह थी:
कुल वेतन = बेसिक पे + 125% डीए
फिटमेंट फैक्टर 2.57 था, लेकिन असली वेतन बढ़ोतरी सिर्फ 0.32 गुना थी।
यानी प्रतिशत में, केवल 14.2% हिस्सा ही था “नया पैसा”; बाकी सिर्फ महंगाई के साथ समायोजित था।
आगे क्या?
इस वक्त करीब 47 लाख कर्मचारी और 65 लाख पेंशनर्स सरकार के ToR फाइनल करने और आयोग के सदस्यों की नियुक्ति का इंतज़ार कर रहे हैं। यह जरूरी है ताकि आयोग की सिफारिशें समय पर लागू की जा सकें।
8वां वेतन आयोग जनवरी 2026 से लागू होगा, क्योंकि 7वें वेतन आयोग का कार्यकाल 31 दिसंबर 2025 को समाप्त हो रहा है। पिछली बार, जब वेतन आयोग 2016 में लागू हुआ था, तो इससे सरकार पर ₹1.02 लाख करोड़ का अतिरिक्त बोझ पड़ा था।