हम सभी की ज़िंदगी में कई इच्छाएँ होती हैं जिनको पूरा करने के लिए, और भगवान का आशीर्वाद पाने के लिए हम कई तरह के व्रत रखते हैं। आज हम आपको बताएँगे एक ऐसे व्रत के बारे में जो हर इच्छा को पूर्ण करता है। एकादशी व्रत के नियम क्या हैं, और किस इच्छा की पूर्ति के लिए एकादशी व्रत व्रत करना चाहिए?
एकादशी व्रत का महत्त्व
एकादशी व्रत हर इच्छा को पूर्ण करता है, साथ ही शरीर और मन को भी स्वस्थ रखता है। यह व्रत सबसे शुभ और महत्वपूर्ण माना जाता है। एकादशी हर महीने में दो बार आती है, शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में। दोनों ही एकादशियों का व्रत रखना सबसे उत्तम होता है। आप कोई भी व्रत रखें या न रखें, अगर आप एकादशी व्रत को अपनाते हैं, तो आपका कल्याण निश्चित है।
कैसे करे एकादशी व्रत?
एकादशी के दिन आप आपको शुद्ध रूप से सिर्फ तरल आहार लेना चाहिए यानि सिर्फ जलीय आहार ग्रहण करना चाहिए। अगर आप निर्जला व्रत यानि बिना पानी के रह सकते हैं, तो इस व्रत के अद्भुत फल आपको मिलेंगे। एकादशी के दिन आप अपने इष्ट देव के साथ-साथ भगवान विष्णु या भगवान शिव का स्मरण करें, उनकी पूजा करें।
अगर आप एकादशी के उपवास रखकर चारो समय यानि सुबह, दोपहर, शाम और रात के समय भगवान की आराधना करें, तो आपकी कोई भी मनोकामना पूरी हो सकती है। एकादशी के अगले दिन सुबह उठकर स्नान, ध्यान करके किसी निर्धन को भोजन का दान करना चाहिए। और व्रत का समापन नींबू पानी पीकर करना चाहिए।
व्रत और उपवास में बड़ा अंतर है।
अगर आप सोचते हैं कि एक दिन खाना नहीं खाऊंगा और वह व्रत हो गया, तो वह व्रत नहीं, बल्कि अनशन है। अनशन यानी जिस दिन आप अन्न नहीं खाएंगे वो अनशन है। उसका व्रत उपवास से कोई लेना देना नहीं है। आप एक दिन भोजन नहीं करते हैं। वह व्रत भी नहीं है और उपवास भी नहीं है। व्रत का मतलब होता है कि आपने संकल्प किया है किसी कार्य विशेष या मनोकामना के पूर्ण होने के लिए। जैसे कि “मैं तब तक खाना नहीं खाऊँगा जब तक मै परीक्षा पास नहीं कर लेता या जब तक माँ की तबीयत ठीक नहीं हो जाती”। जब अनशन के साथ ऐसे किसी भी संकल्प को जोड़ते है तो तो वह व्रत यानि उपवास बन जाता है।
हिंदू परंपरा में व्रत का बड़ा महत्व है।
उपवास का मतलब यह होता है कि उप का मतलब होता है “निकट” और वास का मतलब होता है “रहना” तो आप जब कोई उपवास रखते हैं, भोजन नहीं करते हैं, जल और फल का सेवन करते हैं तो उसमें उपवास का पालन करना चाहिए। यानी दिन भर, रात भर अधिक से अधिक समय ईश्वर के निकट बिताइए। उनके मंत्र जप कीजिये। ईश्वर का का ध्यान करिए, उनकी स्तुति करिए। तब यह उपवास होगा। एक दिन खाना नहीं खाते हैं तो उसका व्रत यानि उपवास से कोई लेना देना नहीं है। वह तो सिर्फ अनशन है। संकल्प जुड़ेगा तो व्रत होगा और जब आप ईश्वर के निकट रहेंगे आहार ग्रहण किए बिना और भगवान के निकट रह के प्रार्थना, स्तुति, पूजा, उपासना करेंगे तब वह उपवास में बदल जायेगा।