तय समय से 8 दिन पहले ही शनिवार को मॉनसून केरल पहुंच गया है। मौसम विभाग के अनुसार, पिछले 16 सालों में यह पहली बार हुआ है जब मॉनसून ने इतनी जल्दी दस्तक दी है। इससे पहले साल 2009 में मॉनसून 9 दिन पहले आया था। पिछले साल मानसून 30 मई को केरल पंहुचा था।
पिछले चार दिनों से मॉनसून केरल से करीब 40-50 किलोमीटर दुरी पर रुका हुआ था, लेकिन शुक्रवार शाम को यह आगे बढ़ा। संभावना है कि आज मानसून तमिलनाडु और कर्नाटक के कई हिस्सों तक पहुंच सकता है। उम्मीद की जा रही है कि यह अगले एक हफ्ते में देश के दक्षिण और पूर्वोत्तर राज्यों को भी कवर कर लेगा और 4 जून के आसपास मध्य और पूर्वी भारत में पहुंच जाएगा।
मॉनसून कब आता है, इसका कुल बारिश पर असर नहीं
आमतौर पर मॉनसून 1 जून के आसपास केरल पहुंचता है और 8 जुलाई तक पूरे देश में फैल जाता है। मानसून की वापसी 17 सितंबर के आसपास शुरू होती है और 15 अक्टूबर तक मानसून पूरी वापिस चला जाता है।
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, मॉनसून के आने और पूरे मौसम के दौरान वाली कुल बारिश के बीच कोई सीधा संबंध नहीं होता। मानसून का जल्दी या देर से आना के कारण जरूरी नहीं कि देश के अन्य हिस्सों में भी इसी तरह असर दिखाए।
1972 में सबसे देर से पहुंचा था मॉनसून
भारतीय मौसम विभाग (IMD) के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले 150 वर्षों में केरल में मॉनसून की दस्तक की तारीखें काफी अलग-अलग रही हैं। साल 1918 में मानसून सबसे पहले 11 मई को आया था, जबकि सबसे देर से मानसून साल 1972 में 18 जून को पहुंचा था।
इस साल मॉनसून में एल नीनो का खतरा नहीं
मौसम विभाग ने अप्रैल में बताया था कि 2025 के मॉनसून सीज़न में एल नीनो सक्रिय नहीं रहेगा। इसका मतलब है कि इस बार सामान्य से ज्यादा बारिश हो सकती है। इस साल काम बारिश होने की संभावना बहुत कम है। साल 2023 में एल नीनो सक्रिय था, जिसकी वजह से मॉनसून सीज़न में सामान्य से 6% कम बारिश हुई थी।
एल नीनो और ला नीना क्या हैं?
- एल नीनो: इसमें समुद्र का तापमान सामान्य से 3 से 4 डिग्री तक बढ़ जाता है। इसका असर हर 10 साल में दो बार दिखता है। इसके प्रभाव से बारिश प्रभावित होती है। एल नीनो की वजह से जिन क्षेत्रों में बारिश जहा ज्यादा होती है, वहां पर कम और कम बारिश वाले क्षेत्रों में ज्यादा बारिश होने लगती है।
- ला नीना: इसमें समुद्री पानी तेजी से ठंडा हो जाता है, जिससे दुनिया भर के मौसम पर असर पड़ता है। इसकी वजह से आसमान में घने बादल छा जाते हैं और सभी जगह अच्छी बारिश होती है।
इस बार मॉनसून जल्दी क्यों आ गया?
मौसम विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार मॉनसून के जल्दी आने की सबसे बड़ी वजह अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में नमी का बढ़ना है। इस बार समुद्र का तापमान सामान्य से ज्यादा था, जिससे मॉनसून की हवाएं तेजी से सक्रिय हो गईं। इसके साथ ही पश्चिमी हवाओं की गतिविधियों ने और चक्रवातों ने भी मॉनसून को आगे बढ़ने में मदद की। इसके अलावा, विशेषज्ञ जलवायु परिवर्तन भी मौसम के इस बदलाव का एक बड़ा मानते है।
क्या जल्दी आया मॉनसून जल्दी चला भी जाएगा?
अब बड़ा सवाल उठता है कि क्या मानसून जल्दी चला भी जायेगा? जल्दी आने वाला मॉनसून जरूरी नहीं कि जल्दी ही खत्म भी हो जाए। मानसून की अवधि कई परिस्थितयो पर निर्भर करता है, जैसे कि अरब सागर और बंगाल की खाड़ी का तापमान, हवा का दबाव और वैश्विक मौसम का पैटर्न।
इस बार बारिश कैसी रहेगी
अगर मॉनसून समय से पहले आए और उसकी गति अच्छी बनी रहे, तो पूरे देश में सामान्य या अच्छी बारिश हो सकती है। लेकिन अगर यह जल्दी आकर धीमा पड़ जाए या कमजोर हो जाए, तो बारिश कम भी हो सकती है। कभी-कभी मॉनसून देर से आता है, लेकिन लंबे समय तक टिकता है और सीजन में अच्छी बारिश होती है।