आषाढ़ अमावस्या 2025: तिथि, योग, महत्व और शुभ उपाय

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Aashad amavasya

इस दिन के साथ ही आषाढ़ मास की अमावस्या में भी खास पवित्रता संपृक्त होती है। आज के दिन अपने पूर्वजों के आत्मा की शांति के लिए पिंडदान, तर्पण और दान-पुण्य करने के लिए बहुत शुभ माना जाता है। इस बार धर्म आषाढ़ अमावस्या को कई और शुभ संयोग में छोड़ रहा है, जिससे उसका महत्वपूर्णता और बढ़ गया है।

अमावस्या तिथि व शुभ मुहूर्त

  • अमावस्या आरंभ: 24 जून 2025, शाम 6:59 बजे
  • अमावस्या समाप्त: 25 जून 2025, दोपहर 4:02 बजे
  • इस दौरान सुबह के समय स्नान, दान और तर्पण का विशेष फलदायक महत्व माना गया है।

बन रहे हैं शुभ योग

इस आषाढ़ अमावस्या को वास्तव में गजकेसरी योग उत्पन्न होने की एक दुर्लभ और अत्यंत शुभ संयोग है। इसी तरह से अन्य सिद्धी योग भी जैसे वृद्धि योग, गुरु-आदित्य योग और वेशी योग तैयार हुए हैं जो इसके साधना, पूजन और उपायों को विशेष रूप से लाभदायक बनाते हैं।

आषाढ़ अमावस्या का महत्व

  • इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और पिंडदान करना अत्यंत पुण्यदायक माना जाता है।
  • शास्त्रों के अनुसार, इस दिन किए गए कार्य पितृ दोष और शनि दोष जैसी बाधाओं से छुटकारा दिलाने में सहायक होते हैं।
  • इसके अतिरिक्त, यह दिन आध्यात्मिक जागृति, आत्मा की शुद्धि, और कर्मों के सुधार का भी प्रतीक है।

आषाढ़ अमावस्या पर किए जाने वाले विशेष उपाय

पितृ तर्पण व पिंडदान:

गंगा या किसी पवित्र जल में स्नान करने के बाद पुर्वजो के नाम पर तर्पण करें। तिल, कुश और जल का प्रयोग करके पिंडदान करना विशेष रूप से शुभ होता है।

दीप दान और पीपल पूजा:

शाम के समय पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाकर उसके चारों तरफ सात बार परिक्रमा करने से शनि दोष में शांति मिलती है।

मछलियों को आटे की गोलियां:

सुबह-सुबह मछलियों को आटे की छोटी-छोटी गोलियां दें। यह आर्थिक बाधाओं को कम करने में मदद करता है।

ब्राह्मण को खीर का दान:

बेल के पेड़ के नीचे ब्राह्मण को खीर या कोई सफेद मीठा भोजन परोसने से माता लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।

गुप्त दीपक उपाय:

रात के समय एक सुनसान जगह पर दीप जलाकर उसे बिना पीछे देखे छोड़ दे। इस क्रिया का उद्देश्य पितृ शांति और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करना है।

कच्चा नारियल टोटका:

कच्चा नारियल, आटा और चीनी को एक काले कपड़े में बांधकर किसी सुनसान जगह पर गाड़ दें। इस्से शनि के प्रभाव को कम किया जा सकता है।

आषाढ़ अमावस्या सिर्फ एक पंचांग की तिथि नहीं है; यह हमारे और हमारे पूर्वजों के बीच एक महत्वपूर्ण संबंध का प्रतीक है। यह अवसर हमें अपने वर्तमान को सुधारने और अपने भविष्य को पवित्र बनाने का भी संकेत देता है।

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