जरा कल्पना कीजिए एक ऐसे डिजिटल संसार की जहां हमारे रुपए और डॉलर ना तो बैंक में बंधे हो ना कैश में। लेकिन हर जगह स्वीकार्य हो बल्कि तुरंत कहीं भी और कभी भी। इसके साथ ही बिना बैंकों के बेचने की आजादी हो। अभी एक ऐसी क्रिप्टो क्रांति की शुरुआत हो चुकी है जो ना सिर्फ अमेरिका में बल्कि भारत जैसे देशों के लिए भी समय के आर-पार का महत्व रखती है।
क्रिप्टो करेंसी (Crypto Currency) बाजार में आजकल जोरदार हलचल है क्योंकि पहली बार क्रिप्टो (Crypto) का मार्केट कैप 4 ट्रिलियन डॉलर के पार हो चुका है। आपको इस खबर में बतायेगे की कैसे अमेरिका में पास हुआ जीनियस एक्ट इथेरियम (Ethereum) में 70% की भयंकर उछाल और वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंसियल की 10 बिलियन डॉलर की खरीद और यह भारत के लिए क्या नए अवसर और चुनौतियां लेकर आ रहा है।
इस साल 2025 में 18 जुलाई को राष्ट्रपति ट्रंप ने जीनियस एक्ट यानी कि गाइडिंग एंड एस्टैब्लिशिंग नेशनल इनोवेशन फॉर यूएस स्टेबल कॉइंस एक्ट पर हस्ताक्षर किए। जिससे अमेरिका में स्टेबल कॉइन को पहली बार फेडरल मान्यता मिली। अब स्टेबल कॉइन जारीकर्ता संस्थानों को 1:1 रिजर्व बैंकिंग, मासिक ऑडिट करवाना और पारदर्शिता बनाए रखना अनिवार्य हुआ है। यह कदम क्रिप्टो को सट्टा से बढ़ाकर वैध और सुरक्षित डिलीवरी माध्यम बनाने की दिशा में एक बड़ा बदलाव है।
इस नियामक स्पष्टता के परिणाम स्वरूप ग्लोबल क्रिप्टो (Crypto) मार्केट कैप पहली बार $4 ट्रिलियन तक पहुंचा। इथेरियम (Ethereum) की कीमत जुलाई में लगभग 70% रैली के साथ 150 बिलियन से अधिक मार्केट वैल्यू में इजाफा हुआ। वर्तमान में इथेरियम (Ethereum) लगभग $300 से लेकर $3600 पर ट्रेड कर रहा है। वहीं बिटकॉइन भी $123000 से ऊपर पहुंचा।
निवेशकों का विश्वास दिखाता है कि जुलाई में बिटकॉइन (bitcoin) ईटीएफ में $5.5 बिलियन और इथेरियम (Ethereum) ईटीएफ में 2.9 बिलियन की पूंजी प्रविष्टि हुई है। वहीं दूसरी ओर वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंसियल जो ट्रंप समर्थित डीईएफआई प्लेटफार्म है उसने हाल ही में इथेरियम में 10 बिलियन मूल्य के 37 इथेरियम खरीदे हैं। मार्च में भी उन्होंने 4460 इथेरियम के करीब खरीदे थे। जिससे उनकी इथेरियम होल्डिंग बढ़ी थी। इसकी मदद से कंपनी का डीईएफआई प्लेटफार्म स्थिर मूल्य स्टेबल कॉइन यूएसडी $1 और गवर्नेंस टोकन डब्ल्यूएलएफआई डॉलर जारी कर रहा है।
यह कदम बताता है कि यह सिर्फ निवेश नहीं कर रहे बल्कि एक वित्तीय और तकनीकी इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार कर रहे हैं। यह कदम भारत के लिए पूरे संदर्भ में महत्वपूर्ण हो सकता है। पहला यह कि वैश्विक मान्यता प्राप्त नियामक मॉडल अपनाने से क्रिप्टो निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा और पारदर्शिता सुनिश्चित होगी। दूसरा है कि आरबीआई और नीति निर्माता अमेरिका जैसे नियामकों को देखकर अपने ढांचे को बदले जैसे डिजिटल रूपी, सीबीडीएस और डीईएफआई प्रोजेक्ट्स को वैध आधार मिले। तीसरा है एंप्लॉयमेंट एंड इनोवेशन पर्सपेक्टिव से देखें तो क्रिप्टो फिनटेक इकोसिस्टम में लाखों नौकरियां, स्टार्टअप और विकास की संभावनाएं खुल सकती हैं। चौथा है जोखिम भी साथ देखिए। यानी यह कि मनी लॉन्ड्रिंग, साइबर हमले और सट्टेबाजी से निपटना बेहद जरूरी होता है। भारत को इसके लिए ठोस नियामक जल तैयार करना अनिवार्य होगा।
अमेरिका ने जीनियस एक्ट के माध्यम से स्थिर कॉइन को कानूनी मंजूरी दी। इससे वैश्विक वित्तीय प्रणाली में क्रिप्टो की स्थाई वर्तनी सामने आई। अगर भारत सीबीडीएस स्टेबल कॉइन क्रॉस बॉर्डर भुगतान स्थापित करें तो भारत वैश्विक डिजिटल अर्थव्यवस्था में एक सकारात्मक की जाने वाली भूमिका निभा सकता है। यह सिर्फ एक बुल रन नहीं बल्कि एक आर्थिक क्रांति का आरंभ है।
तो जीनियस एक्ट ने क्रिप्टो को एक इमेजिनेशन से निकालकर वैध वित्तीय उपकरण बना दिया है। इथेरियम (Ethereum) में 70% उछाल, ट्रंप की कंपनी का निवेश और अब भारत के लिए अवसर। यह संकेत है कि डिजिटल मुद्रा युग आरंभ हो चुका है।