गौरीकुंड, उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में स्थित है, और यहां की वाइब्स ही अलग हैं। कोई यूं ही नहीं कहता इसे केदारनाथ यात्रा का पहला पड़ाव। मां पार्वती, जिनका दूसरा नाम गौरी भी है, उनसे जुड़ा ये स्थान बड़ा ही पावन माना जाता है। मतलब, पौराणिकता और प्राकृतिक सौंदर्यता दोनों का कॉम्बो है गौरी कुंड।
गौरी कुंड धार्मिक महत्व
ऐसा कहा जाता है कि मां पार्वती ने शिव जी को पाने के लिए यहीं पर तप किया था। इसी वजह से इस जगह को गौरीकुंड कहा जाता हैं। यहां पर एक पुराना मंदिर है, जिसमें लोग चार धाम यात्रा की शुरुआत करने से पहले माथा टेकने आते हैं। गौरी कुंड के बिना दर्शन किए आगे बढ़ना चारधाम यात्रा में अधूरा सा लगता है।
गरम पानी का कुंड—स्पा नहीं, स्पिरिचुअल एक्सपीरियंस
यहां का हॉट वॉटर स्प्रिंग, यानी गरम जलकुंड सच में स्पेशल है। ऐसी मान्यता है कि गौरी कुंड में डुबकी लगाने से सभी तरह के पापों से मुक्ति मिलती हैं। वैसे भी, चारधाम यात्रा में केदारनाथ की यात्रा शुरू करने से पहले यहाँ नहाना बड़ा शुभ माना जाता है।
केदारनाथ यात्रा की असली चढ़ाई यहीं से
अब बात करें एडवेंचर की—तो गौरीकुंड से केदारनाथ तक का रास्ता कोई बच्चों का खेल नहीं। पूरे 16 किलोमीटर की ट्रेकिंग है, और भाईसाहब, मजाल है कि सांस न फूले! फिर भी, यहीं से मन भी तैयार होता है, शरीर भी।
सुविधाएं और व्यवस्था
सोच रहे हो कि इतनी भीड़ में कैसे मैनेज करें? टेंशन न लो, यहां सब कुछ मिलता है—रजिस्ट्रेशन सेंटर, खाने-पीने की जगहें, रेस्टिंग पॉइंट्स, मेडिकल स्टॉल। और अगर चलने का मन नहीं है, तो घोड़ा, पालकी या यहां तक कि हेलीकॉप्टर भी मिल जाता है।
प्रकृति के बीच पवित्रता
ऊंचे-ऊंचे पहाड़, मंदाकिनी नदी की वो शोर करती धारा, ठंडी हवा—यहां हर सांस में कुछ अलग सा शांति मिलती है। सच कहूं तो, यहां आकर लगता है कि इंसान और नेचर का रिश्ता कितना गहरा है। धर्म और प्रकृति—दोनों का जबरदस्त मिक्स है गौरीकुंड में।
तो अगली बार केदारनाथ जाना हो, तो गौरीकुंड में रुकना मत मिस करना।