क्या भारतीय शेयर बाजार जल्द ही 90,000 या 1 लाख के आंकड़े को छू सकता है? दरअसल ये सवाल इसलिए उठता है क्युकी दुनिया की मशहूर ब्रोकरेज फर्म मॉर्गन स्टैनली ने अपनी एक ताज़ा रिपोर्ट में ऐसा दावा किया है। लेकिन ऐसा इस रिपोर्ट में क्यों कहा गया है? इसके पीछे की वजह क्या है? और इसका आपके निवेश पर क्या असर पड़ सकता है?
आज हम आपको बताएंगे कि मॉर्गन स्टैनली ने किन तथ्यों के आधार पर यह भविष्यवाणी की है, और यह भारत के निवेशकों के लिए क्या मायने रखती है।
मॉर्गन स्टैनली ने अपनी ताज़ा रिपोर्ट में क्या कहा?
मॉर्गन स्टैनली के मुताबिक, सेंसेक्स जून 2026 तक 89,000 के स्तर तक पहुँच सकता है, और अगर परिस्थियां अनुकूल रही, तो यह 1 लाख के स्तर तक भी पहुँच सकता है। मॉर्गन स्टैनली ने अपनी रिपोर्ट में इसके पीछे भारत की मजबूत आर्थिक स्थिति, अच्छी कॉरपोरेट कमाई और स्थिर नीतिगत माहौल को वजह बताया गया है।
रिपोर्ट के अनुसार, सामान्य हालात (बेस केस) में सेंसेक्स 89,000 तक जा सकता है। और बहुत अनुकूल हालात (बुल केस) में यह आकड़ा 1 लाख तक पहुँच सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 89,000 तक पहुँचने की संभावना 50% है, जबकि 1 लाख तक पहुँचने की संभावना 30% तक की है।
सेंसेक्स को 89,000 तक पहुँचने के लिए ज़रूरी शर्तें
भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूत ग्रोथ रिपोर्ट के अनुसार भारत की ग्रोथ “स्ट्रक्चरल” यानि दीर्घकालिक रास्ते पर है। इसका मतलब है कि भारत की इकॉनमी सिर्फ कुछ सालों के लिए नहीं, बल्कि लंबी अवधि तक तेज़ी से बढ़ेगी।
कम ब्याज दरें और बेहतर लिक्विडिटी
मॉर्गन स्टैनली का मानना है कि आने वाले समय में ब्याज दरों में थोड़ी और कटौती हो सकती है और इससे बाजार में नकदी की कोई कमी नहीं होगी।
भारत-अमेरिका के बीच ट्रेड डील
मॉर्गन स्टैनली की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत और अमेरिका के बीच जल्द ही एक अच्छा व्यापार समझौता हो सकता है, जो भारतीय बाजार के लिए काफी सकारात्मक रहेगा।
वैश्विक मंदी की आशंका नहीं
अमेरिका और अन्य देशों में ग्रोथ थोड़ी धीमी हो सकती है, लेकिन कोई बड़ी मंदी आती नहीं दिख रही है। इसको भी मॉर्गन स्टैनली ने अपनी रिपोर्ट में भारतीय बाज़ारो की पक्ष में बताया है।
अगर सेंसेक्स 1 लाख तक पहुँचे तो उसके लिए और क्या ज़रूरी है?
मॉर्गन स्टैनली ने जो जरुरी बाते बताई है उनमे महत्त्वपूर्ण है कि क्रूड ऑयल की कीमतें $65 प्रति बैरल से नीचे रहें। इससे भारत का कर्रें अकाउंट घाटा कम होगा और महंगाई पर काबू बना रहेगा।
GST और टैक्स में कटौती, कृषि सुधारों में प्रगति और कॉर्पोरेट कमाई
मॉर्गन स्टैनली का मानना है कि टैक्स कम होने से कंपनियों की मुनाफा बढ़ेगा और उपभोग भी तेज होगा। इसके साथ ही अगर किसान कानूनों पर सहमति बनती है, तो कृषि क्षेत्र में निवेश बढ़ेगा। इसके साथ ही कॉर्पोरेट कमाई में 19% की वार्षिक वृद्धि यानी कंपनियां हर साल औसतन 19% ज्यादा मुनाफा कमाए। रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्लोबल ट्रेड वॉर का भी इस ग्रोथ में एक अहम रोल रहेगा। अगर दुनिया के बड़े देशों के बीच व्यापारिक तनाव नहीं बढ़ा तो इसका फायदा भारत जैसे उभरते बाजारों को फायदा मिलेगा।
निवेशकों को क्या करना चाहिए?
मॉर्गन स्टैनली मानता है कि आगे का समय “स्टॉक पिकर्स मार्केट” होगा। यानी पूरे बाजार की बजाय अच्छी कंपनियों के शेयर ही बेहतर रिटर्न देंगे। निवेशकों को कुछ सेक्टरों से बचने की सलाह दी है जिनमे फाइनेंसियल सेक्टर, एनबीएफसी, इंडस्ट्रियल सेक्टर, इन्फ्रास्ट्रक्चर मैन्युफैक्चरिंग, कंज्यूमर डिस्क्रेशनरी, ऑटो, लग्ज़री गुड्स शामिल है। जिन सेक्टरों में निवेश की सलाह दी है, वे हैं एनर्जी, मटीरियल, यूटिलिटी और हेल्थकेयर। यानी निवेशकों को सोच-समझकर चुनिंदा कंपनियों में निवेश करना चाहिए, सिर्फ पूरे बाजार पर निर्भर नहीं रहना चाहिए।
एफआईआई और रिटेल निवेशकों की भूमिका
मॉर्गन स्टैनली का कहना है कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FII) की भारत में पोजीशन साल 2000 के बाद सबसे कमजोर रही है, लेकिन अब संकेत मिल रहे हैं कि FII फिर से भारतीय बाजार में वापसी कर सकते हैं। वहीं दूसरी ओर, भारतीय खुदरा निवेशक (retail investors) लगातार SIP और शेयरों के ज़रिए निवेश कर रहे हैं, जो बाजार को एक मजबूत सहारा दे रहा है।
आम निवेशक क्या करें?
निवेशकों को लॉन्ग टर्म यानि लम्बी अवधि की लिए निवेश की सोच रखनी चाहिए। लंबी अवधि में ही अच्छी कंपनियां अच्छा रिटर्न देती हैं। अच्छे फंडामेंटल वाली कंपनियों पर ध्यान दें। साथ ही एसआईपी या स्टेप बाय स्टेप इन्वेस्टमेंट करें। बाजार कब ऊपर या नीचे जाएगा, कोई नहीं जानता। इसलिए एक ही बार में पैसा लगाने की बजाय हर महीने थोड़ा-थोड़ा निवेश करें। इसके साथ ही डायवर्सिफिकेशन पर भी ध्यान दे। यानी निवेश को अलग-अलग सेक्टर और कंपनियों में बाँटें।
डिस्क्लेमर: यह जानकारी सिर्फ आपकी जानकारी के लिए तैयार की गई है। किसी भी शेयर में पैसा लगाने से पहले अपने निवेश सलाहकार से ज़रूर सलाह लें।