Zero Down Payment पर कार लेने से पहले जान लें ये शर्तें I Car On EMI

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जीरो डाउन पेमेंट में कार ले लो और ईएमआई में आसानी से भरते रहो। सुनने में कितना आसान लगता है। लेकिन क्या यह ऑफर वाकई फायदेमंद है या यह एक ऐसा फाइनेंशियल ट्रैप है जो आपको सालों तक परेशान करेगा। आपको इस खबर में बतायेगे कि हिडन चार्जेस, इंटरेस्ट रेट्स और क्या डाउन पेमेंट पर गाड़ी लेना सही फैसला है या फिर नहीं लेना चाहिए? इसे विस्तार से समझते हैं। 

सबसे पहले आते हैं कि क्या होता है जीरो डाउन पेमेंट ऑफर? देखिए जीरो डाउन पेमेंट ऑफर का मतलब होता है कि आपको कार खरीदने के लिए अप फ्रंट कुछ भी नहीं देना होता। ना 500 ना 1 लाख। सीधा ईएमआई चालू। कई लोग इसे एक गोल्डन डील मानते हैं। स्पेशली फर्स्ट टाइम बायरर्स या फिर यंग प्रोफेशनल्स जो अभी पैसा सेव नहीं कर पाए हैं या फिर सेविंग की शुरुआती टाइम पर हैं। 

अब समझते हैं कि हिडन चार्जेस का खेल क्या है? कोई भी कंपनी फ्री में गाड़ी नहीं देती। ज़ीरो डाउन सुनने में जितना अच्छा है मतलब उतना ही खतरनाक। इसका मतलब है कि इंटरेस्ट रेट हाई रहेगा 12 से 18% तक। प्रोसेसिंग फीस रहेगी, डॉक्यूमेंटेशन चार्जेस रहेंगे। कंपलसरी इंश्योरेंस रहेगा, एक्सेसरीज। यह सभी देना मैंडेटरी होगा। यानी आपको जीरो से शुरू तो किया जाएगा, लेकिन टोटल खर्च एक से 2 लाख तक एक्स्ट्रा पड़ सकता है। बेसिकली यह हिडन चार्जेस वही होते हैं जो विज्ञापन में कभी मेंशन नहीं होते। 

चलिए एक उदहारण से समझते हैं। मान लीजिए आपने 7 लाख की गाड़ी ली जीरो डाउन पेमेंट में। आपकी ईएमआई बन गई 15,000 की 5 साल तक। अब 3 साल बाद कार बेचनी पड़ जाए तब तक गाड़ी की रिसेल वैल्यू गिर चुकी होगी। लेकिन आपका लोन बाकी रहेगा। ईएमआई भरते-भरते गाड़ी पुरानी हो जाएगी। आपको ना नई गाड़ी खरीदने की ताकत रहेगी ना पुरानी बेचने की। 

ये एक नेगेटिव इक्विटी ट्रैप होता है। जहां आप सिर्फ इंटरेस्ट भरते रह जाते हो और एसेट की वैल्यू घटती चली जाती है यानी डेप्रिसिएशन में। अब ऐसा नहीं है कि यह ऑप्शन हमेशा गलत ही हो। कुछ केसेस में यह सही भी साबित हो सकता है। जैसे कि आपको गाड़ी की अर्जेंटली जरूरत है। जैसे जॉब, हेल्थ, फैमिली रीज़ंस इन सब में। इंटरेस्ट रेट कम मिल रहा है या फिर लोन टर्म 2 से 3 साल तक आई है। आपके पास स्टेबल इनकम है और इमरजेंसी फंड भी रेडी है तो आप इस ऑप्शन को चुन सकते हैं। यानी अगर प्लानिंग सही हो तो जीरो डाउन भी काम कर सकता है। लेकिन जरा भी गलती होने पर आपको पड़ना होगा भारी नुकसान। 

कार खरीदना सिर्फ एक इमोशनल डिसीजन नहीं होना चाहिए। यह पूरी फाइनेंशियल स्ट्रेटजी होनी चाहिए। डाउन पेमेंट जमा करके ईएमआई कम रखो। लोन कम टेन्योर के लिए लो। 3 साल तक ऑनलाइन लोन कैलकुलेटर से टोटल कॉस्ट पहले ही चेक करो। मल्टीपल डीलर से कोटेशंस लो यानी उसके बारे में समझो कि हिडन चार्जेस क्या होते हैं उनको कंपेयर करो और उसके बाद ही डिसीजन लो। सिर्फ मंथली ईएमआई मत देखो। पूरी कॉस्ट देखो। तभी आप एक स्मार्ट डिसीजन ले पाओगे। 

तो अगली बार कोई बोले कि जीरो डाउन पे गाड़ी ले लो तो पहले दो सवाल खुद से पूछ लेना। पहला यह कि क्या यह ईएमआई मेरी पॉकेट में फिट बैठेगी? दूसरा यह कि क्या मैं पूरा इंटरेस्ट और हिडन चार्जेस अफोर्ड कर पाऊंगा।

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"पत्रकारिता का मुख्य काम है, लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को संदर्भ के साथ इस तरह रखना कि हम उसका इस्तेमाल मनुष्य की स्थिति सुधारने में कर सकें।” इसी उद्देश्य के साथ मैं पिछले 10 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम कर रही हूं। मुझे डिजिटल से लेकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का अनुभव है। मैं कॉपी राइटिंग, वेब कॉन्टेंट राइटिंग करना जानती हूं। मेरे पसंदीदा विषय दैनिक अपडेट, मनोरंजन और जीवनशैली समेत अन्य विषयों से संबंधित है।